इंदौर/मध्यप्रदेश
इंदौर--महाराष्ट्र से उत्तरप्रदेश और बिहार और अन्य राज्य से दूसरे राज्य में पलायन करते हुए कई दर्दननाक दृश्य रोजाना बायपास पर नजर आ रहे है, लेकिन आज एक ऐसा ही अमानवीय मामला सामने आया,जिसे देखने के बाद कहने को तो कुछ बचा नही था, बस एक ही सवाल मन में था, गलती इनके नसीब की थी की ये गरीब घर में पैदा हुए या फिर उस सिस्टम की जिसने इन्हें इंसान से जानवर बनने पर मजबूर कर दिया। दरअसल ये मामला इंदौर के ऐसे परिवार का है,जिस परिवार के हर एक सदस्य को अपनों के लिए जानवर बनना पड़ गया। इस परिवार को महू से इंदौर पत्थर मुंडला अपने घर आना था, क्योंकि लॉक डाउन में सब कुछ खत्म हो चुका था, रोजगार पैसे।अब अगर कुछ बचा था,तो वो था भूख और अपने घर पहुँचने की उम्मीद। बस इसी घर पहुँचने के उम्मीद ने इन्हें एक सफर पर पहुँचा दिया, जहाँ ये निकले तो इंसान बनकर लेकिन इनके मजबूरी ने इन्हें जानवर ही बना दिया। इस परिवार के पास एक बैलगाड़ी थी और दो बैल। भूख की मार ने रोजी छीन ली, और 15 हजार का बैल मात्र 5 हजार में खरीद कर समाज ने बची हुई इंसानियत भी छीन ली। बेबस लाचार गरीब परिवार पर लाचारी पर मुस्कुराता हुआ गर्व से बेजुबान साथी बैल को अपने साथ लेकर निकल पड़ता है,कभी भाई अपने कंधो पर बैलगाड़ी का एक हिस्सा संभालता तो कभी भाभी अपने कंधों पर और कभी पिता अपने का कंधो पर। वीडियो देखकर कल्पना की जा सकती है कि मजदूर अपने प्रिय जानवरो को भी अपने साथ कई किलोमीटर की पैदल यात्रा साथ लेकर कर रहे है। अपनों ने तो ऐसे परिस्थितियों में एक दूसरे का साथ छोड़ दिया हैं।
--6 सदस्य का परिवार भूख के लिए बेच दिया 15 हजार का बैल 5 हजार में।
--लॉक डाउन के बाद पैसे-पैसे को हो गया था,परिवार मौहताज।
--एक के बाद एक परिवार के सदस्य बन गए इंसान की जगह जानवर।
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