भूख से मर रहे मजदूरों और गरीबों पर तमाम राजनीतिक दल चुप क्यों है ? आगे क्यो नही आये ? : नरेंद्र सिंह यादव
भारत में तमाम दबे ,कुचले और आम आदमी की समस्याओं को "जन समस्या मेला लगाकर शिविर" लगाकर सरकार व मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का विशाल जनहित याचिकाओं को मूल आधार बनाकर कार्य करने बाली संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि आज देश में गरीब ,कमजोर ,मजदूर भूख से मर रहा है और तमाम राजनीतिक दल सिर्फ खाना पूर्ति कर रहे हैं.. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सिर्फ शोशल मीडिया पर एक लेख लिखने से उन गरीबो के साथ हो रहे अन्याय में बदलाव आ सकता है ? गरीबो का हाल सबसे दर्दनाक हादसे से गुजर रहा है ऐसे में तमाम राजनीतिक दल चुप क्यों है ?? क्या सिर्फ सभी को गरीबो की याद चुनाव के दौरान ही आती है या जब वह गरीब संकट में है तो उनकी मदद करने के बजाय उन पर चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं। जिन राज्यों में प्रवासी मजदूर कार्य कर रहे थे,उन राज्यों ने मजदूरों की समस्याओं से आँखें बंद कर ली, और उन्हें उनके हाल पर भूख व प्यास से तड़पता छोड़ दिया। न तो मजदूरों को उनके घर पहुँचाने की व्यवस्था की और ना ही खाने पीने और रहने का बंदोबस्त।और यह मजदूर जब हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने ग्रह राज्य पहुँचे तो उन्हें राज्य की सीमा पर रोका गया ,और पुलिस की लाठियों का सामना करना पड़ा। अमीरों को विदेश से हवाई जहाज से बुलाया गया है और स्वागत किया गया। और गरीबों को पुलिस की लाठियां। आखिर यह दोहरी नीति क्यो ?? सरकार आर्थिक पैकेज लेकर आई है ।आज बेरोजगारी ,भुखमरी से मर रहे गरीबों और मजदूरों को कितनी राहत मिलती है ये देखने बाली बात है। टी बी चैनलों की बहस में सभी राजनीतिक दल गरीबों , मजदूरों के सबसे बड़े शुभचिंतक नजर आते है लेकिन किसी भी दल ने पार्टी फंड से मजदूरों की मदद नहीं की। आज देश में गरीबों की आबाज उठाने बाला कोई नहीं। में उन स्वयं सेबी संस्थाओं को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस कोरोना महामारी में बढ़ चढ़कर गरीबों की मदद की।