<no title>-राजेश बैरागी- जो लोग अभी 70 साल के हैं उन्हें याद होगा कि 1962 में चीन से युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू

अपील के बहाने
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-राजेश बैरागी-
जो लोग अभी 70 साल के हैं उन्हें याद होगा कि 1962 में चीन से युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश में अनेक सभाओं में नागरिकों से कहा,-घबराने की बात नहीं है, आखिर में जीत हमारी ही होगी।' लालबहादुर शास्त्री जी ने लोगों से सप्ताह में एक दिन उपवास रखने की अपील की। महात्मा गांधी द्वारा की गई अपीलों का तो एक कोष तैयार किया जा सकता है। राष्ट्र नायक देश पर विपदा के समय दो काम करते हैं। एक उस विपदा से लड़ने की तकनीकी व्यवस्था और दूसरा उस विपदा से लड़ने के लिए देशवासियों का मनोबल बढ़ाना। कोरोनावायरस महामारी के कारण देश वर्तमान में कठिन दौर से गुजर रहा है। संपूर्ण लॉकडाउन नागरिकों ने पहले कभी देखा नहीं। इस बीमारी से लड़ने की कोई तकनीक पूरी दुनिया में किसी को मालूम नहीं है। स्थितियों की भीषणता का भी अभी कोई अंदाजा नहीं है। ऐसे में एक राष्ट्र नायक अपने देश के नागरिकों के मनोबल को कैसे स्थिर रख सकता है।ताली-थाली बजाने और रविवार पांच अप्रैल को 9 मिनट के लिए ब्लैक आउट करने से कोरोनावायरस की भयावहता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई दावा भी नहीं किया है। ज्योतिष का मुझे कोई ज्ञान नहीं और जो इसे लेकर अपना ज्ञान बघार रहे हैं उनके अनुमानों/दावों की मैं पुष्टि करने की योग्यता नहीं रखता। फिर भी वर्तमान राष्ट्र नायक की वर्तमान समस्या से निपटने के लिए की गई यह अपील कोरी बकवास नहीं है। मैं अपने संबंधियों, मित्रों, पड़ोस के लोगों को फोन या सीधे बात कर प्रतिदिन हौसला-अफजाई करता हूं।वो भी मेरी चिंता करते हैं। कुछ लोग देश बाहर भी फोन या दूसरे माध्यमों से अपनों की खैर पूछते ही होंगे। यह एक मानवीय कर्तव्य है।जब ऐसी घोर निराशा की स्थिति हो और लड़ाई अज्ञात शत्रु से हो तो ताली-थाली, ब्लैक आउट,लॉकडाउन जैसे सभी प्रयासों से खराब समय का प्रबंध किया जाता है। क्या इससे कोई नुक़सान होगा? आदतन विरोधियों को विरोध न करने से नुकसान होता है।(नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)