<no title>गुरु दक्षिणा एक महान योगदान

 


गुरु दक्षिणा एक महान योगदान ,,,,,


बहुत ही विचित्र विडंबना है कि जब हमारे घर में बच्चा पैदा होता है तो हम उसी समय पर लेते हैं कि उसे बढ़िया से बढ़िया जिंदगी देंगे, बढ़िया से बढ़िया शिक्षा देंगे और उसे डॉक्टर, इंजीनियर, ऑफिसर ,आईएएस ऑफिसर बनायेगे क्या-क्या सपने लेकर हम उसे बड़ा करने का प्रण उसी समय ले लेते हैं   लेकिन जब उसके स्कूल की फीस देने की बारी आती है तो जाने क्यों माता-पिता या जाने वो कौन से लोग हैं सोचो अगर स्कूल गई ना होते  तू ही विरोध करने वाले  क्या आज इस लेवल पर खड़े हो पाते  क्या उनमें सोच विचार करने की शक्ति होती, doctor engineer Vakil CA बन पाते, स्कूल फीस को ही क्यों ,,,इसको एक असहनीय अवहनीय और अवाँछनीय बना देते हैं मैं यह पूछना चाहती हूं जो आज की इस कठिन   परिस्थिति में यह कह रहे हैं कि स्कूल 3 महीने की फीस नहीं देंगे, मैं महानुभावों से अनुरोध करूंगी वह भी अपने 3 महीने की कमाई को छोड़ दे या वह भी अपने 3 महीने की तनखा ना ले,क्या ऐसा कर पाएंगे और साथ ही अगर उनके घर में उनकी पत्नी या मां  बहन,  भाई  टीचर है तो क्या उनकी तनखा नहीं लेना चाहेंगे और हो सकता है उनके पिता टीचर हों तो क्या वह अपनी तनखा छोड़ देंगे ?  हो सकता है उनकी नेतागिरी की दाल तो गल जाए इन अजीत परिस्थितियों में उनकी राजनीति तो चल जाए लेकिन मेरे घर का चूल्हा नहीं चलेगा मैं भी एक टीचर हूं और दो छोटे बच्चों की मां हूं अकेले हिंदू छोटे बच्चों का  गुजर बसर पालन पोषण करती हूं  एक बहुत छोटी सी तनख्वाह मुझे मेरे छोटे से स्कूल से लगभग ₹10000 मिलती है  मेरे स्कूल को ना मजबूर करें  की इन कठिन परिस्थितियों में वह मुझे किस्तों में तनखा दे या ना दे पाए, मेरा स्कूल भी कोई बहुत बड़ा स्कूल नहीं है  पूर्णता शिक्षा की सेवा में लगा हुआ है यह मैं जानती हूं इसीलिए आग्रह कर रही हूं  सभी अभिभावकों से कि वह मेरे बच्चों को भी अपना बच्चा समझ कर अपना योगदान अवश्य दें, एक अजीब सी परिस्थिति बनी हुई है कि अभिभावक कह रहे हैं कि हमें फीस नहीं देनी और सरकार कह रही है कि आप सब को तनखा दीजिए, माना बहुत से बड़े संस्थान जिन्होंने शिक्षा को व्यापार बना लिया था या बना लिया है उन्होंने करोड़ों अरबों कमा लिए होंगे, उनके लिए शायद इस परिस्थिति को झेल जाना आसान होगा, लेकिन ऐसे संस्थान शायद 10% या 20℅ होंगे बाकी के संस्थान जो वास्तव में शिक्षा सेवा में लगे हुए हैं वे इस नुकसान को नहीं झेल ,पाएंगे तो ऐसी परिस्थिति में मुझे लगता है कि हमें सब का संघर्ष अपने थोड़े-थोड़े थोड़े योगदान से अपने बच्चों की सुनहरे भविष्य के लिए आपस में बांट लेना चाहिए,   सोचिए उस ड्राइवर का उस पीएन का उस आया का उस स्वीपर का उस गार्ड का जिसका घर उनकी छोटी सी तनख्वाह से चलता है जो कि केवल स्कूल पर निर्भर रहते हैं, एक विद्यालय फीस नहीं लेगा तो उन सब को तनखा कहां से दे पाएगा, क्या यह शिक्षा में व्यवधान नहीं होगा और यह व्यवधान होगा तो नुकसान अंततः आपके बच्चों को ही तो होगा क्योंकि यह टीचर आगे नहीं चल पाएंगे नए-नए टीचर्स बुलाने पड़ेंगे और फिर यह शिकायतें आएंगे कि आप टीचर्स बदल देते हैं हमारे बच्चे अच्छे से नहीं कर पाते हैं व्यवधान को ना आने दे सहयोग करें परिस्थिति को समझें योगदान करें अंततः यह योगदान आप ही  के बच्चों के लिए है और कहते भी हैं कि गुरु दक्षिणा के बिना शिक्षा फलती नहीं है,
शिक्षक भी इसी धरती के प्राणी हैं और उन्हें भी उसी तरीके से प्रकृति के हवा पानी कपड़े मकान और बाकी की रोजमर्रा की जरूरतें वैसे ही चाहिए जैसे आप सबको चाहिए शिक्षक कोई दूसरे ग्रह का प्राणी नहीं है जो केवल हवा और पानी के सहारे रह जाएंगे कृपया सहयोग करें, 
ऐसी कठिन परिस्थिति में गुरु दक्षिणा भी एक महान योगदान होगा।
प्रार्थी 
एक शिक्षिका