भारत में लॉक डॉउन 14के बाद भी जारी रखने कि जरूरत
जल्दी में हटाया तो दूसरी बड़ी भूल होगी
राजेन्द्र सिंह जादौन
भारत जैसे विशाल ओर कम संसाधनों वाले देश में कोरोना महामारी से निपटने या इसे रोकने के लिए पिछले 24मार्च को लॉक डॉउन लागू किया गया था। इस लॉक डॉउन की अवधि 14अप्रैल तय की गई थी। लेकिन जैसे जैसे 14अप्रैल को तिथि करीब आ रही है वैसे ही देश मै
करोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका मतलब है कि जो संक्रमण मार्च से पहले फेल चुका था वह सामने आ रहा है।मसलन दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में हुए तबलीगी जमात के जमावड़े में 13से15मार्च के दौरान शामिल रहे लोगो का संक्रमण अब अप्रैल तक सामने आ रहा है। अभी तक इसका सामने आना बाकी है। कारण यह है कि जमावड़े में शामिल हुए लोग छिपने का प्रयास भी कर रहे है। इसके अलावा विदेश से आए लोगो के संपर्क में आने वाले सभी लोगो का पता लगाना संभव नहीं हो पाया है। इन हालात के चलते आगामी 14अप्रैल को लॉक डॉउन को हटाना जल्दबाजी ही नहीं बल्कि दूसरे बड़ी गलती होगी। पहली बड़ी गलती अंतरराष्ट्रीय ओर घरेलू उड़ानों को समय रहते ना रोककर पहले ही की जा चुकी है। अब अगर 14अप्रैल को लॉक डॉउन समाप्त किया जाता है तो दूसरी बड़ी गलती हो जाएगी। अब सवाल यह उठता है कि लॉक डॉउन हटाने का सही समय क्या होगा तो इसका जवाब है कि जब देशभर में नए करोना पीड़ित सामने आना बन्द हो जाए इसके एक सप्ताह बाद ही लॉक डॉउन समाप्त किया जाए। अभी लॉक डॉउन हटाना खतरे से भरा कदम होगा ओर यह ठीक वैसा ही होगा जैसे कि इलाज करते हुए अचानक रोक दिया जाए। जब तक नए मरीज सामने आ रहे है तब तक यह साफ है कि संक्रमण छिपा हुआ है ओर उसका सामने आना बाकी है।
देश विकसित देशों की तरह जोखिम नहीं उठा सकता है। विकसित देश भी तमाम साधनों के बावजूद संक्रमण ओर उससे होने वाली मौतों को नहीं रोक पाए है। भारत में तो साधनों कि भारी कमी है। देश की आर्थिक विकास की गति करोना के कहर से मौजूदा पांच फीसदी से भी नीचे चार फीसदी तक घटने का अनुमान पहले ही लगाया जा रहा है। अभी जबकि देश में करोना संक्रमित लोगो की संख्या चार हजार ही है तब तक ही इलाज करने वाले डॉक्टरों एवम् मेडीकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए मास्क एन 95 ओर निजी सुरक्षा उपकरण जैसी जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं हो रहा है।अभी तो हाल यह है कि मरीजों की संख्या हर 4.1दिन में दोगुनी हो रही है। इसके मद्देनजर सरकार का अंदरूनी आकलन भी सामने आया है जिसके अनुसार आने वाले दो माह में देश में दो करोड़ सत्तर लाख एन95मास्क,एक करोड़ पचास लाख पी पी ई किट,सोलह लाख टेस्ट किट ओर सोलह हज़ार वेंटिलेटर की जरूरत होगी। इतनी जरूरत पूरी करने के बाद भी कितने लोगो का जीवन बचाया जा सकेगा यह तो कहा नहीं जा सकता है।इतने बड़े रोग फैलाव में फसने के बजाय बेहतर यही होगा कि लॉक डॉउन के जरिए ही छिपे हुए संक्रमण को सामने लाकर उसे आगे बढ़ने से रोका जाए।
अभी सरकार ने लॉक डॉउन के कारण पैदा होने वाली उथल पुथल को थाम लिया है। इस कारण बेरोजगार हुए दिहाड़ी मजदूरों को राहत शिविरों में ठहराया गया है। उनको आर्थिक मदद दी जा रही है।गरीब ओर वंचित वर्ग के लोगों को आर्थिक मदद के साथ राशन भी तीन माह का दिया गया है। इस तरह रोजाना कमाने ओर खाने वाले लोगो को ठहराव में रख दिया गया। सभी कुछ व्यवस्थित चल रहा है। जो जहा है वहा उसकी मदद बढ़ा कर लॉक डॉउन को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। अभी सार्वजनिक परिवहन शुरू करने से लोगो के जमा होने का सिलसिला फिर शुरू हो जाएगा ओर करोना संक्रमण की तीसरी अवस्था को रोकना संभव होगा। संसाधनों की तमाम नजीरे तो सरकार के सामने पहले से मौजूद है। पता चल रहा है कि डॉक्टर हेलमेट लगाकर करोना मरीजों का इलाज कर रहे है ओर निजी सुरक्षा कवच के स्थान पर रेन कोट पहन कर काम चला रहे है।बिहार सरकार ने पांच लाख मास्क मांगे थे लेकिन चार हजार ही दिए जा सके। इसी हालत में लॉक डॉउन हटाने का फैसला बहुत समझ बूझ कर करने की जरूरत होगी।
<no title>भारत में लॉक डॉउन 14के बाद भी जारी रखने कि जरूरत