फिट दरोगा हल्का इंचार्ज तो अनफिट संभाल रहे थाने की कमान
पोस्टिंग में मेरिट दरकिनार, जुगाड़ू दरोगाओं को तरजीह देने से बढ़ा
कुशीनगर।
आमतौर पर हम सभी को यह सुनने को मिलता हैं कि प्रतिभा का सम्मान होना चाहिए, लेकिन यह बात पुलिस विभाग के लिए एक कहावत बनकर रह गयी हैं। तभी तो जिस दरोगा को जिलाधिकारी चार्ज के लायक नही समझते है, लेकिन उनके द्वारा उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट करने के बाद भी अनफिट घोषित दरोगा थाने का चार्ज संभाल मलाई काट रहे हैं और फिट दरोगा हल्का इंचार्ज बनकर अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रदेश के मुखिया ने जहां अनफिट व भारी भरकम शरीर वाले दरोगाओ को थाने का प्रभार नही सौपने का फरमान जारी किया हुआ है तो वही कुशीनगर जिले में पुलिस विभाग में शासन का फरमान व उच्चाधिकारियों का आदेश कोई मायने नही रखता हैं तभी तो जिस दरोगा को डीएम ने पद के लायक नही समझा और रिपोर्ट भी उच्चाधिकारियों को भेजी, वह दरोगा का चार्ज संभाल रहे है। सूत्रों की माने तो जिले के जटहा बाजार थाने का तत्कालीन डीएम डा. अनिल कुमार सिंह मुआइना करने पहुचे थे और उस समय तत्कालीन थानाध्यक्ष के भारी भरकम शरीर को देख भड़क गये, उन्होंने तत्काल थानाध्यक्ष को अनफिट करार देते उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट दिया कि यह किसी भी थाने के प्रभार के लायक ही नही है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा था कि जो दरोगा 100 मीटर तक दौड़ नही सकता हैं फिर आमजन की सुरक्षा कैसे संभव है। उनके रिपोर्ट के बाद पुलिस विभाग में हड़कम्प मच गया और तत्कालीन थानाध्यक्ष को हटाकर उन्हें लाइन में बुला लिया गया। फिर डीएम के रिपोर्ट देने के बाद भी अनफिट दरोगा को तुर्कपट्टी की कमान सौंप दी गयी। अब सबसे बड़ा सवाल कि जब जिले के आलाधिकारी ने जिस दरोगा को अनफिट घोषित कर दिया और उन्हें कभी भी चार्ज न देने की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई, फिर किस चश्मे से देखकर उन्हें फिर थाने की कमान सौंपी गयीं। ऐसे ही तमाम अनुत्तरित सवाल है कि पुलिस विभाग में मेरिट को दरकिनार कर पोस्टिंग में हो रहे खेल की कहानी बयां कर रहे हैं। विभाग में यह काफी चर्चा का विषय बना हुआ कि यहां पोस्टिंग में मेरिट को दरकिनार कर जुगाड़ू दरोगाओं को तरजीह दी जा रही हैं। इसको लेकर जहां मेरिट वाले दरोगा अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं तो वही अनफिट दरोगाओं की तैनाती से अपराधों में वृध्दि हुई हैं।
अब देखना है कि आलाधिकारी अगली पोस्टिंग करते समय मेरिट को कितना तरजीह देते हैं यह तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन लोगों का यही कहना है कि अगर जुगाड़ू लोगो को दरकिनार कर तेज़तर्रार व मेरिट वाले दरोगाओं को थाने की कमान सौपी जाय तो निश्चित ही अपराधों में कमी आएगी।