<no title>सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवकुशनगर में व्याप्त असुविधाओं के खिलाफ ज्ञापन देना पड़ा महंगा

 


*सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवकुशनगर में व्याप्त असुविधाओं के खिलाफ ज्ञापन देना पड़ा महंगा*


 *बनावटी आधारों पर ज्ञापन दाता के विरुद्ध कराया फर्जी मुकदमा दर्ज*


 *लवकुशनगर-* सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवकुशनगर में व्याप्त अनियमितताओं एवं अस्पताल प्रबंधन की मनमानी के संबंध में दिनांक 30 दिसंबर 2019 को आनंद गुप्ता सहित कई युवाओ और नगर वासियों द्वारा स्वास्थ्य मंत्री मध्य प्रदेश शासन के नाम 10 बिंदुओं का एक ज्ञापन एस. डी. एम. लवकुशनगर के माध्यम से दिया गया था। इस ज्ञापन से बौखला कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवकुशनगर के प्रबंधन द्वारा बनावटी आधारों पर ज्ञापनदाता आनंद गुप्ता के विरुद्ध दिनांक 1 जनवरी 2020 को शासकीय कार्य में बाधा डालने और एससी एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं का मामला थाना लवकुश नगर में पंजीबद्ध करवा दिया गया था।
  क्या अब किसी भी अनियमितता के विरुद्ध लोकतांत्रिक तरीके से ज्ञापन देना ज्ञापनदाताओं को महंगा पड़ सकता है? क्योंकि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवकुशनगर प्रबंधन के लोगों द्वारा ज्ञापनदाता के विरुद्ध जो एफ आई आर दर्ज करवाई गई है वह पूरी तरह से ज्ञापन दाता पर अनावश्यक दबाव बनाने उद्देश्य से की जा ना बताई जा रही है।  
    ज्ञापनदाता आनंद गुप्ता द्वारा बताया गया कि ज्ञापन देने के कुछ दिन पूर्व मैं अपने चचेरे भाई का इलाज कराने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लवकुशनगर गया हुआ था, जहां पर व्याप्त अनियमितताओं के खिलाफ मैंने अस्पताल प्रबंधन से पूछताछ की थी।  पूछताछ करने के बाद जब कोई सारगर्भित जवाब नहीं मिला तो मैंने अस्पताल में व्याप्त अनियमितताओं के विरुद्ध ज्ञापन दिया, एवं अनियमितताओं के संबंध में कोई कार्यवाही ना होने पर  अनशन करने की बात मेरे द्वारा कही गई थी, मुझ पर अनावश्यक दबाव बनाने के आशय से मेरे विरुद्ध थाना लवकुशनगर में यह फर्जी मामला पंजीबद्ध करवा दिया गया है और गिरफ्तारी का अनावश्यक पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा है। अब सवाल यह उत्पन्न होता है क्या किसी भी अनियमितता  के विरुद्ध ज्ञापन देने वालो के विरुद्ध बनावटी कार्यवाही करना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है?