Masihuddin Sanjari पीपुल्स अलायंस हेल्प लाइन से जड़ने की वजह से रात दो बजे से ही परीशान नागरिकों की प्रदेश और देश के दूसरे भागों से फोन काल्स प्राप्त होती रहीं। राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बिहार और यहां तक कि महाराष्ट्र, से भी उन गरीबों और मेहनतकशों को पैदल घर का रुख करना पड़ा है जिनके काम बंद हो गए और रहने का कोई ठिकान नहीं था। रास्ते में पैदल चलते हुए कुछ मौतों की खबरें हैं तो सड़का दुर्घटना में पैदल लोग मारे गए हैं। भूख और बीमारी से भी लोगों के मरने की खबरें आ रही हैं। आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, जम्मू और मिज़ोरम में फंसे हुए प्रदेशवासी भी अपने घर पहुंचने के लिए परीशान हैं, खाने पीने और रहने की दिक्कत का सामना कर रहे हैं। दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दवाओं की आपूर्ति बाधित होने के कारण स्थिति और भयावह हो सकती है।
कई लोग ‘पीपुल्स अलायंस’ को एनजीओ समझने समझ रहे हैं, कुछ अन्य हमसे अपेक्षा करते हैं कि हम उनके खुद उनके घर पहुंचने की व्यवस्था करेंगे। हालांकि कि हमारा प्रयास सरकार से फंसे हुए लोगों को निकालने का अनुरोध करने और सरकार के प्रयासों से जनता को अवगत कराने तक सीमित हैं। हमारा प्रयास यह भी है कि जहां लोग फंसे हुए हैं वहां के स्थानीय लोगों से अपील करें कि रास्ते लोगों के खाने पीने की व्यवस्था करें कोई भूखा न रह जाए। लेकिन लॉक डाउन में सबकी अपनी सीमाएं हैं। समस्या के पहाड़ में पीपुल्स अलायंस का प्रयास राई के दाने के बराबर भी नहीं है।
प्रदेश और केंद्र सरकार से हम अनुरोध करते हैं कि अन्य प्रदेशों में फंसे प्रदेशवासियों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था करे लेकिन साथ ही उनके मेडिकल परीक्षण की भी व्यवस्था हो ताकि संक्रमण के फैलाव से बचा जा सके। दूसरा उपाय यह हो सकता है कि जो लोग जहां फंसे हुए हैं वहीं उनके रहने और खाने की व्यवस्था की जाए।