कोरोना प्रकोप--मजदूर और उनकी बेबसी
अजय शर्मा
दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अलग अलग राज्यों से दिहाड़ी मजदूर, गरीब परिवार कोरोना वायरस की वजह से लगे लाॅकडाउन के कारण पलायन करने के लिए मजबूर हैं। उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं। ये लोग कई दिनों से भूखे हैं। दिल्ली एनसीआर से इन बेसहाराओं की जो तस्वीरें आ रही हैं वो बहुत ही डराने वाली हैं। ये लोग पैदल ही अपने पैतृक गांव या फिर कस्बों के लिए 500 से 1000 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े हैं।
आज के मौजूदा हालात यह चीख चीख कर बता रहे हैं कि लाॅकडाउन कोरोना से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। कोरोना से मरने वालों की संख्या 22 और मरीजों की संख्या 1000 के आस पास है। शहरों और कस्बों में काम धंधे बंद हो जाने स ेअब लाखों मजदूर और छोटे मोटे कर्मचारी अपने गांवों की तरफ मार्च कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें शाम की मजदूरी मिलनी बंद हो गई है। जो लोग दफतरों और कारखानों में ही सो जाते थे। उनमें ताले लग चुके हैं। देश भर में इन करोड़ों लोगों के पास खाने को दाने नहीं हैं और सोने को छत नहीं है। ये लोग पैदल ही निकल पड़े हैं। वहीं हजारों लोग दिल्ली के बस स्टैंड पर जमा है जैसे ही उन्हें पता चला कि 28 और 29 मार्च को उत्तर प्रदेश सरकार अपनी बस सेवा चलाएगी। तस्वीरें बयां कर रही हैं कि ये लोग अपनी बीवी बच्चों के साथ हैं। सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा तो की है लेकिन वो उन तक नहीं पहुंची है तभी ये लोग सड़कों पर हैं।
मेरा सभी सरकारों से विनग्र निवेदन है कि इन लोगों के लिए तुरंत इंतजाम किए जाए। अन्यथा स्थिति बिगड़ सकती है। इनके खाने पीने और रहने की युद्ध स्तर पर इंतजाम किए जाए। अन्यथा देश अराजकता, लूट पाट, मार धाड़ के अलावा कोरोना महामारी की तीसरी स्टेज में पहुंच जाएगा।
अजय शर्मा
पत्रकार, लेखक , संपादक, एंकर,