*ढोंगी समाजसेवियों का खेल*
*शिक्षा,जमीन,अवैध कॉलोनाइजर,पम्प जैसे काले कारोबारों को छुपाने ओढ़ रखा है समाजसेवा का चोला*
*-कोरोना जैसी महामारी में भी जरूरतमन्दों की मदद के लिए नही आ रहे आगे*
*-शिक्षा माफिया ने अपनों को ही लूटा, यूरोप टूर के नाम पर 1.75 लाख के स्थान पर बसूले थे 2.25 लाख रुपए*
*-काले कारोबारों पर पर्दा डालने अधिकारियों से बढ़ाते हैं नजदीकियां,बनाते है कार्यक्रमों में मुख्य अथिति*
शिवपुरी
शहर में समाजसेवा का ढोंग करने बाली कथित समाजसेवी संस्थाओं का दोहरा चरित्र अब सामने आता दिखाई दे रहा है। कोरोना महामारी की मार से जिले में कर्फ्यू लगा हुआ है। गरीब जनता के पास दो वक्त के भोजन की व्यवस्था नही है। ऐसी स्थिति में शहर के तमाम जागरूक समाजसेवी बढ़चढ़कर सेवा भाव दिखाते हुए प्रतिदिन सैकड़ों जरूरतमंदों को भोजन,पानी,दूध सहित राशन के पैकेट व मुख्यमंत्री कोस नगद राशि उपलव्ध करा रहें हैं। वही दूसरी ओर शहर में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो कइ दशकों से समाजसेवा का ढोंग कर अधिकारियों से नजदीकियां बढ़ाते हुए अपने काले कारोबारों पर पर्दा डाले हुए हैं। यह कथित समाजसेवियों में अधिकांस शिक्षा माफिया,भूमाफिया,अवैध कॉलोनाइजर,पम्प माफिया एवं अन्य कई माफिया भी शामिल हैं। कुल मिलाकर इन फर्जी समाजसेवकों को अगर माफिया गिरोह का नाम दिया जाए तो गलत न होगा।
*काले कारोबार छुपाने अधिकारियों को बनाते है कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि*
शिवपुरी में फर्जी समाजसेवकों की संख्या 2 सैकड़ा से भी अधिक है। यह सभी अपने काले कारोबारों से करोड़ों के बारे न्यारे करते है। लेकिन कोरोना जैसी महामारी में इन्होंने अभी तक एक भी जरूरतमंद को पानी तक नही पिलाया। माफियाओं का यह गिरोह बड़े ही सुनियोजित अंदाज में अपने कारनामों को अंजाम देते है, यह फर्जी समाजसेवक अपने काले करोबारों को छुपाने के लिए सर्वप्रथम जिलाधिकारियों को अपनी संस्थाओं के कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बनाने के बाद उनसे नजदीकियां गाँठते है। अधिकारियों से नजदीकी होने के बाद फिर उनका लाभ उठाते हुए अपने शिक्षा,जमीन,अवैध कॉलोनी, पम्प जैसे काले करोबारों को अंजाम देते है।
*शिक्षा माफिया ने अपनो को ही ठगा*
शिवपुरी में एक फर्जी समाजसेवी संस्था के मुख्य कर्ताधर्ता एवं शिक्षा माफिया ने अपने ही गिरोह के सदस्यों की जेब काटते हुए लाखों के बारे न्यारे कर लिए, हुआ कुछ यह की इस शिक्षा माफिया ने यूरोप टूर के नाम पर अपने गिरोह के ही सदस्यों से 2 लाख 25 हजार रुपए बसूल लिए जबकि इस टूर का सम्पूर्ण खर्च 1 लाख 75 हजार रुपए आ रहा था। मामला लाखों के खेल का था इसलिए बहुत जल्दी ही चर्चाओं में आ गया और इस शिक्षा माफिया को मुँह छुपाने भी जगह नही मिली,गिरोह में भी शिक्षा माफिया के खिलाफ विरोध के सुर तेज हो गए जिसका खामियाजा शिक्षा माफिया को आज भी भुगतना पड़ रहा है। शिक्षा के जरिये गरीब बच्चों के माता पिता से लूटमार करने बाले इस शिक्षा माफिया और इसके अन्य माफिया सदस्यों ने आज तक कोरोना महामारी में आगे आकर किसी भी जरूरतमंद की मदद नही की है। इनके काले कारोबारों का बहुत जल्द आगे भी खुलासा किया जाएगा।