नमस्कार साथियों
आज कोविद-19 से भारत ही बल्कि सम्पूर्ण विश्व हताहत है, चीन जैसे देश से चलते हुए ये महामारी हमारे प्यारे देश भारत में भी अपनी जड़ें जमा चुकी है ।
साथयों इस महामारी से बचने का कोई इलाज भी नहीं
अब बात आती है कि जब ये लाइलाज बीमारी है तो फिर इंसान को सुरक्षित कैसे किया तो कोविद पर रिसर्च टीम (चिकित्सकों/खोजकर्ताओं) का कहना है इस लाइलाज बीमारी का बचाव ही इलाज है।
जिसको ध्यान में रखते हुए हमारे देश के आम आदमी से लेकर प्रधान मंत्री भी सजग रहकर बचाव की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं।
किन्तु लॉक डाउन का पालन करने वाले लोगों में भी माँ की ममता , भाई का प्रेम, पिता , बहन , पत्नी , बच्चे परिवार आदि के प्रति असीम प्रेम होता जिसको भुलाया नहीं जा सकता।
ऐसे बाहर फंसे हुए लोग जब घरों का रुख करते हैं , तब वे बहुत द्रवित होते हैं , चूँकि यातायात की सेवा अत्यधिक खराब है , उन्हें उनके घर पहुंचाने का एकमात्र साधन है , कदम चाल ।
इसके अतिरिक्त तो मेरे भाई केवल पुलिस वालों की गाली और निःशुल्क डंडे मिल रहे हैं ।
यहाँ हम सरकार से राज्य एवं केंद्र सरकार से अपील करते हैं, कि जो गरीब लोग अपने घर परिवार गांव जिले प्रदेश से दूर अपने परिवार के भरण पोषण हेतु गए।
और वे वहाँ फंसे हुए हैं ऐसे लोगों के यातायात की व्यवस्था करे ।
और नहीं तो उनके रहने भोजन इत्यादि की व्यवस्था करे ताकि वे भी इस देश की खुशहाली का नजारा अपनी स्वस्थ आंखों से देख सकें।
हालाँकि हमारे प्यारे देश के प्यारे साथियों वो कहते हैं न
गिरि को कर रहे कन्थड़ा हिरण कसो घी खाय
आप चरे और कौन भगै घोड़ा सूं आगे जाय
जिसका अर्थ है कि
हिम्मत कर हुंकार भर हिरन कौन सा घी खाता है,
जो घोड़ा से तेज दौड़ता है।
हिम्मत ए मर्दे मदद ए खुद
हिम्मत करने वालों की मदद तो भगवान भी करता है।
ऐसा ही कुछ हाल हमारे प्रेम की नगरी आगरा का है जहाँ आगरा की छोटी बड़ी सभी सामजिक संस्थाये (ngo)
मानव सेवा के साथ देश सेवा में लगी हुई हैं।
लोगों वायरस से बचाव के मास्क उर्जा हेतु भोजन पानी की व्यवस्था करते हुए
सब पढ़े सब बढ़ें
जय हिंद जय भारत
विश्वशांति मानव सेवा समिति परिवार