21 दिन का लॉक डाउन तो कर दिया ~|
लेकिन घरों में कैद गरीब खाएगा क्या यह भी तो बताते प्रधानमंत्री जी ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को आज रात 12 बजे से अगले 21 दिन तक लॉकडाउन करने की घोषणा की है। उन्होंने इसे एक तरह का कर्फ्यू कहा है और अपील की है कि इस दौरान लोग घरों से न निकलें। लेकिन सवाल है कि गरीब के घर का चूल्हा कैसे जलेगा, मजदूर के बच्चों का पेट कैसे भरेगा, आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई कैसे होगी, इसका कोई रोडमैप या खाका देश के सामने नहीं रखा। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने यह भी नहीं बताया कि उनकी सरकार गरीबों-मजदूरों के चूल्हे की आंच के लिए क्या कदम उठा रही है। क्या गरीबों और मजदूरों, दिहाड़ी कमाई करने वालों, ठेला-खोमचा लगाने वालों को कोई आर्थिक मदद दी जाएगी? आखिर इस वर्ग की भूख कैसे शांत होगी?
अपने करीब 30 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस की भयावहता का जिक्र करते हुए एक ही बात बार-बार दोहराई कि दुनिया के सभी विकसित देश भी इस समय असहाय हैं। उन्होंने इस रविवार हुए जनता कर्फ्यू के लिए लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जनता कर्फ्यू से भारत ने दिखा दिया कि जब देश पर संकट आता है, जब मानवता पर संकट आता है तो किस प्रकार सभी भारतीय मिलकर एकजुट होकर मुकाबला करते हैं। लेकिन इस संकट की घड़ी में सरकार लोगों के लिए, देशवासियों के लिए, अपने नागरिकों के लिए क्या कर रही है, इसका कोई जिक्र नहीं किया।
प्रधानमंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से माना कि दुनिया के कई देशों के मुकाबले हमारे यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं और संसाधन पर्याप्त और गुणवत्ता वाले नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने यह नहीं बताया कि हमारे देश में इस बीमारी की पहचान करने के लिए कितनी प्रयोगशालाएं हैं, कितने आइसोलेशन सेंटर हैं, कितने क्वेरंटाइन सेंटर हैं और कितनी नई सुविधाएं तैयार की जा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने सोशल डिस्टेंसिंग का हवाला दिया और इसी कारण पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि जो लोग अपने घरों से दूर फंसे हैं, और जिनके पास रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं है, उनके लिए क्या कर रही है सरकार। प्रधानमंत्री ने सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस के साइकिल को तोड़ने, चेन ब्रेक करने का आह्नान तो किया, लेकिन बेघरों, गरीबों, मजदूरों, रिक्शे वालों, रेहड़ी लगाने वालों आदि के जीवन का साइकिल चलता रहे, इसकी कोई व्यवस्था या घोषणा नहीं की।