कांग्रेस के लिए एक बुरी खबर यह भी रही कि स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली दर्शन को नही आये। कुछ प्रत्याशी यह भी कह रहे कि वह आलाकमान को नेताओं की रैली या फिर रोड शो के लिए पत्र या मेल करते तो थे पर उसका कोई जवाब नहीं आता था।
दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी और लगभग 15 वर्षों तक दिल्ली में शासन में रहने वाली कांग्रेस मुकाबले से बाहर नजर आ रही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। कांग्रेस ने दिल्ली में पार्टी के दिग्गजों को भी चुनावी टिकट दिया है तो नए उम्मीदवारों पर भी भरोसा जताया है। कांग्रेस प्रत्याशी भी चुनाव जीतने के लिए दमखम लगा रहे हैं। लेकिन फिर भी बाजी उनके पक्ष में जाती दिखाई नहीं दे रही है। इसका सबसे बड़ा कारण पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का निराशाजनक रवैया है। पार्टी के कुछ नए उम्मीदवारों की माने तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की इस लचर हालात का जिम्मेदार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को मान रहे हैं। उन्हें लगता है कि पार्टी ने दिल्ली में उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया है। कुछ उम्मीदवारों ने तो यहां तक कह दिया है कि जो बड़े नेता या फिर पैसे वाले प्रत्याशी हैं। वह तो जैसे तैसे चुनाव मैं अपना दमखम दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जो नए और कम पैसे वाले प्रत्याशी हैं उन्हें भयंकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।