मौद्रिक नीति की अपनी सीमाएं होती हैं, रिफॉर्म पर हो जोरः शक्तिकांत दास


भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बजट से पहले कहा है कि मौद्रिक नीति की अपनी सीमाएं होती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वो रिफॉर्म और राजकोषीय घाटे को कम करने पर ज्यादा जोर दे। इसके लिए कई ऐसे सेक्टर हैं, जहां पर विकास की अपनी संभावनाएं हैं। 
 

दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के पूर्व छात्र ने  वहीं पर एक समारोह में बोलते हुए कहा कि अगर सरकार फूड प्रोसेसिंग, टूरिज्म, ई-कॉमर्स, स्टार्टअप जैसे सेक्टरों की ओर ज्यादा ध्यान दे तो विकास दर में काफी तेजी देखी जा सकती है। दास ने कहा कि विकास दर में तेजी के लिए केंद्रीय बैंक के लिए सबसे ज्यादा चुनौती है। मांग में कमी और सप्लाई की तरफ से कमी के कारण महंगाई को कम करना सबसे बड़ी चुनौती है। 

दास ने कहा कि जहां केंद्रीय बैंक ने पिछले एक साल में रेपो रेट में कमी की है, वहीं विकास दर भी लगातार कम होती जा रही है। केंद्रीय बैंक अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है कि वो सस्ती दर पर कर्ज दे। हालांकि केंद्र सरकार भी अपनी तरफ से विनिर्माण पर खर्च कर रही है, लेकिन इसके अलावा राज्यों को ऐसा करने में आगे आना पड़ेगा। 

दास ने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक के लिए फिलहाल अभी की अर्थव्यवस्था को समझना सबसे बड़ी चुनौती है> दास ने कहा कि देश की संभावित ग्रोथ का अनुमान लगाना केंद्रीय बैंक के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। इसके बावजूद मांग में कमी, सप्लाई और महंगाई दर को देखते हुए राय रखी गई ताकि समय पर उचित नीतियां लागू की जा सकें।

आरबीआई ने वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए फैसले लिए


दास ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में कई देशों में ग्रोथ के ट्रेंड में बदलाव की वजह से दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियां बदल रही थीं। इस अनिश्चितता को देखते हुए आरबीआई ने भी अपने आकलन में लगातार बदलाव किया। इससे देश की जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती का अनुमान लगाने और ग्रोथ बढ़ाने के लिए रेपो रेट घटाने का फैसला लेने में मदद मिली।